Loan Against Property (LAP) क्या है?
Loan Against Property एक सिक्योर लोन है जिसमें आप अपनी रेज़िडेंशियल, कमर्शियल या इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर बैंक या NBFC से लोन प्राप्त कर सकते हैं। क्योंकि यह सुरक्षित लोन है, इसलिए बैंक भी इसे कम ब्याज दर पर और ज्यादा राशि तक देने के लिए तैयार रहते हैं। और लोन प्रोसेस भी आसानी से कम ब्याजदर पर ज्यादा समय के लिए मिल जाता है |
Loan Against Property Eligibility
Loan Against Property लेने के लिए कुछ एलिजिबिलिटी को पूरा करना ज़रूरी होता है। यह बैंक/NBFC के अनुसार बदल सकते है जो कुछ इस प्रकार है :
- आयु (Age): 21 – 65 वर्ष तक
- रोज़गार (Employment): Salaried या Self-Employed दोनों
- न्यूनतम आय (Minimum Income): ₹15,000 – ₹30,000 प्रति माह
- CIBIL स्कोर: 700+ होना चाहिए
- प्रॉपर्टी: आपके नाम पर वैध और विवाद-मुक्त प्रॉपर्टी होनी चाहिए
Loan Against Property Documents
- पहचान प्रमाण (Identity Proof): Aadhaar Card, PAN Card, Voter ID, Passport
- पता प्रमाण (Address Proof): बिजली बिल, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस
- आय प्रमाण (Income Proof): (1 ) Salaried के लिए: Salary Slip (पिछले 3 महीने की), Bank Statement (पिछले 6 महीने की), (2 ) Self-Employed के लिए: ITR (पिछले 2-3 साल), GST Return, Balance Sheet
Property Documents:
- Sale Deed
- Property Tax Receipt
- Approved Layout/Map
- NOC (यदि आवश्यक हो)
Loan Against Property Benefits
- कम ब्याज दर: पर्सनल लोन और बिज़नेस लोन की तुलना में LAP सस्ता होता है।
- लंबी अवधि: 15 साल तक का टेन्योर मिलने से EMI भी कम रहती है।
- बड़ी राशि: प्रॉपर्टी वैल्यू के आधार पर करोड़ों तक का लोन लिया जा सकता है।
- मल्टी-पर्पज़ (Multi-purpose): लिए गये लोन लोया उपयोग अपनी जरूरत अनुसार कही भी कर सकते है जैसे बिज़नेस करने , नया बिज़नेस शुरू करने , बच्चो के पढाई , मेडिकल आदि में
- टॉप-अप लोन: समय के साथ आप अतिरिक्त राशि भी ले सकते हैं।
- टैक्स बेनिफिट: यदि आप लोन को बिज़नेस उपयोग में लेते हैं तो ब्याज भुगतान पर टैक्स डिडक्शन मिल सकता है।
Why Choose Loan Against Property
- यदि आपको बड़ी राशि की ज़रूरत है और आपके पास प्रॉपर्टी है, तो LAP सबसे आसान विकल्प है।
- पर्सनल लोन की तुलना में EMI काफी कम होती है।
- बिज़नेस, शिक्षा, शादी या मेडिकल जैसे बड़े खर्च LAP से आसानी से मैनेज किए जा सकते हैं।
- लंबी अवधि के कारण आर्थिक बोझ कम रहता है।
- आपकी प्रॉपर्टी आपके पास ही रहती है, बस लोन के लिए गिरवी रखी जाती है।


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